राजेश कुमार सोनार के बिखरे मोती
स्वागत 2008
नया वषZ तेरा स्वागत है ,दो हजार सन् आठ ,
आशा है तू नित लायेगा खुिशयो की सौगात ,
सात सुरों का संगम होगा तेरे इस नव गीत में ,
साथ निभायेगा जो हर पल आने वाली जीत में ,
सदा सफलता हमें मिलेगी दिन हो या हो रात...
सात रंग के हैं जो सपने उसे करोगे तुम साकार ,
हमें दिलाओगे गैरों से भी अपनों जैसा ही प्यार ,
सपनो को सच करने में ना कभी मिलेगी मात...
सातों दिन खुिशयों के होंगे अब पूरे सप्ताह मे ,
साथ सफलतायें होंगी अब अपने बारह माह में,
बात सिर्फ खुिशयों की होगी गम की ना हो बात ...
रखे कामना बस यह तुमसे है सोनार राजेश ,
सभी रहें समृद्ध ,स्वस्थ और करे प्रगति यह देश ,
गर्व कर सकें हम अपने पर बने वही हालात...
मुदित मन
मुदित हुआ करता है मानव मन,
मिले कहीं जब मन को स्पन्दन...
तितली जब इठलाती है , फूलों पर मंडराती है ,
खग अपनी कलरव से सारे , अम्बर को चहकाती हैं,
और भ्रमर करते गुन गुन गुंजन ,
मुदित हुआ करता है मानव मन ,
देख सुमन से सजा हुआ आंगन
कुसुम कली मुसकाती हैं , भ्रमरों को ललचाती हैं ,
फिर बिखेर अपनी सुरभि , बगिया को महकाती हैं,
महक उठा करता सारा उपवन ,
मुदित हुआ करता है मानव मन,
देख कुसुम का ऐसा अल्हड़पन
लिपटी तना लताओं से, जैसे बच्चे मांओं से ,
आम वृक्ष बौराते है , कोयल कूक के गाते हैं ,
तब सब कुछ लगता है मनभावन,
मुदित हुआ करता है मानव मन ,
दिखे दृश्य ऐसा जब भी अनुपम ...
घर में जब होते बच्चे, तब ही घर लगते अच्छे ,
बच्चे नटखट लगतेे हों , पर दिल के होते सच्चे ,
देख के बच्चों का निश्छल जीवन ,
मुदित हुआ करता है मानव मन ,
बच्चों से जब सजा दिखे आंगन,
मात-पिता , दादा-दादी, चाचा-चाची संग, बेटे ,
बिटिया और बहन , बांटें संग उमंग ,
करें जान इक दूजे पर अर्पण,
मुदित हुआ करता है मानव मन ,
दिखे घरों में जब भी अपनापन ...
मंदिर, मिस्जद ,गुरुद्वारा, हो या गिरजाघर ,
गूंजा करते नित्य जहां , आस्थाओं के स्वर,
पूजा में जब दिखता कोई मगन ,
मुदित हुआ करता है मानव मन,
दिखे भावना जब कोई पावन ...
जननी और अवनि दोनों, जीवनदाता हैं ,
इसीलिये दिल का इनसे , गहरा नाता है ,
इनसे मिलता दिल को स्पन्दन,
मुदित हुआ करता है मानव मन ...
इनसे जब जब उपजें नव जीवन ...
चिराग के दो रूप
घर के चिराग से ही रोशन हुआ है घर ये,
मुस्कान से भरे अब लगते मेरे अधर ये ,
आने से उसके घर में गौरव बढ़ा हमारा,
रखकर चलें शहर में ऊंचा अब अपना सर ये ,
उसने दिलाईं खुिशयां हमको जहां की सारी,
पा ली हैं सारी खुिशयां हमने इसी उमर में ,
मन हो रहा प्रफुिल्लत पाकर के साथ उसका ,
खुिशयों से हो रहा है पुलकित हमारा स्वर ये,
थे ख्वाब जो हमारे पूरे हुये सभी अब ,
स्ंातुिष्ट पा गये हम जीवन के इस पहर में ,
लोगों ने दी बधाई पाया जो कुल का दीपक,
मुक्ति मिलेगी हमको जीवन मरण के डर से ,
घर के चिराग से ही लगी आग अपने घर में ,
बदनाम लग रहे हम अब अपने ही शहर में ,
फूलो सा जिसको पाला जीवन में कष्ट सहकर,
कांटे बिखेर डाले उसने हर इक डगर में ,
सोचा था साथ देगा जीवन के सांझ तक जो ,
छोड़ा उसी ने हमको मंझधार में भंवर में ,
पाईं थी जिन्दगी में उपलब्धि जिस जमीं पर ,
वह ही लगी है चुभने मुझको मेरी नज़र में ,
सोना खरा ना खुद का तो दोष हम किसे दें,
माना खरा था जिसको खोटा है हर नज़र में ,
है वक्त से ही आशा उपचार वह करेगा ,
आशा से ही रखा है अब पग नये सफर में,
भारतीय सैनिक
वन्दे मातरम् ,वन्दे मातरम् ...
बाधायें कैसी भी हो पर रूकते जिसके नहीं कदम ,
होठों पर बस एक गीत रहता है वन्दे मातरम् ,
देशभक्ति की जो पहली पहचान ,
वो है हिन्दुस्तानी सेना का जवान ...
आंधी हो ,तूफान हो , फंसी किसी की जान हो ,
सागर की गहराई हो , या फिर गहरी खाई हो ,
रूका नहीं करता जिसका अभियान ,
वो है हिन्दुस्तानी सेना का जवान ...
सीमा उच्च हिमालय की हो ,या फिर राजस्थान की ,
सदा रहे रक्षा में रत जो भारत के सम्मान की ,
रखे तिरंगे की ऊंची जो शान , वो है हिन्दुस्तानी सेना का जवान ...
होता कहीं विवाद हो , दंगा और फसाद हो ,
तन्मयता से रक्षा करता , कैसा भी उन्माद हो ,
हिन्दू ,सिख हो या वह मुसलमान ,
वो है हिन्दुस्तानी सेना का जवान ...
गमीZ हो या सदीZ हो , या मौसम बेददीZ हो ,
कर्तव्यों से नहीं डिगे वह, जब तक तन पर वदीZ हो ,
चाहे उसकी निकल ही जाये जान ,
वो है हिन्दुस्तानी सेना का जवान ...
वन्दे मातरम् , वन्दे मातरम् ...
आशीष
गणपति से आशीष ले करो नई शुरूआत ,
खुिशयों से भरपूर हों अब सारे दिन रात ,
प्रीति बनी राजीव के जीवन की हमराह ,
मिले सदा आशीष बड़ों का रखकर दिल में चाह ,
प्रीति और राजीव रहें खुिशयों से आबाद ,
देते हैं हम आज यह इनको आशीर्वाद ,
जीवन भर मुस्कान का पावें दोनो साथ ,
जीवन के हर दौर में कभी ना छूूटे हाथ ,
खुिशयां जीवन भर मिलें और प्यार भरपूर ,
मिलकर दोनों ही करें सब बाधायें दूर ,
आशा और प्रताप पुत्र को है ऐसा आशीष ,
खुिशयों की इन पर हुआ नित्य करे बारिश ,
चाहत ना कम हो कभी ,इच्छायें हो पूरी ,
नवदम्पति के बीच में कभी ना आये दूरी ,
जीवन भर बढ़ता रहे इन दोनों में प्यार ,
दें यह आशीर्वाद सरस्वती और राजेश सोनार ,
आशीर्वाद ईश्वर के आशीष से आज घड़ी यह आई है ,
िशल्पराज और नेहा खातिर गूंज रही शहनाई है ,
गणपति के आशीष से हुई नई शुरूआत ,
खुिशयों से भरपूर हों अब सारे दिन रात ,
िशल्पराज की बन गई अब नेहा हमराह ,
मिले सदा आशीष बड़ों का है दिल मे यह चाह,
जीवन भर मुस्कान का पावें दोनो साथ ,
जीवन के हर दौर में कभी ना छूूटे हाथ ,
खुिशयां जीवन भर मिलें और प्यार भरपूर , मिलकर
दोनों ही करें सब बाधायें दूर , चाहत ना कम हो कभी ,
इच्छायें हो पूरी , नवदम्पति के बीच में कभी ना आये दूरी ,
जीवन भर बढ़ता रहे इन दोनों में प्यार ,
दें यह आशीर्वाद सरस्वती और राजेश सोनार ।
गम और खुशी
खुिशयां या गम मिलती है अपने जीवन में सबको ज्यादा या कम ।
कोई खुशी को रखता संजो कर कोई जरा पाके इतराता है
खुिशयां सदा ही रहती नहीं है जाने वो पर भूल जाता है ।
रखा संजोकर जिसने खुशी को हों उसके नैना खुिशयों से नम ...
आये जो गम तो रोती हैं ऑखें
दिल में निराशा सी जगने लगे कितने दिनो तक छाया हुआ
अब गम का अंधेरा ये कैसे टले
गम से है मिलती जीवन की िशक्षा गम से ही टूटा करें सब भरम ...
गम है अंधेरा खुिशयां उजाला एक के बाद एक आया करें
गम के बिना हैं खुिशयां अधूरी पाठ यही सब पढ़ाया करें
गम पाकर हंसता जो भी रहेगा उसका ही जीवन बनता कुदन ...
विश्वास
संचित पूंजी जो रखा हमने अपने पास ।उससे भी है कीमती अपनो का विश्वास । पूंजी लुट भी जाये तो दुख थोड़ा सा होये ।पर टूटे विश्वास तो दिल फिर हर पल रोये ।
पत्थर पर विश्वास किया तो वह बनता भगवान है ।खुदा प्रभु भगवान वाहेगुरू सब विश्वास के नाम हैं ।बिन विश्वास के सूरज के यह जीवन रहे अंधेरे में ।और बिना विश्वास के उसका होता सत्यानाश है ।
राम नाम की महिमा पर जब तुलसी ने विश्वास किया ।रामचरितमानस रच मर्यादा को नव आकाश दिया ।अगर करो विश्वास तो दिखता कण कण में भगवान है ।और यही विश्वास बनाता पत्थर को हनुमान है ।
सारे जहां की दौलत चाहे रख लो अपने पास तुम ।चाहे दुनिया में कहलाते हो कितने भी खास तुम ।मगर अकेले में खुद को कंगाल समझते ही होगे ।अगर खो दिया तुमने अपने लोगों का विश्वास है ं।
है यह विनती आपसे खोना ना विश्वास ।पूंजी जीवन भर यही रखना अपने पास ।इस पूंजी से ही मिला करता सच्चा स्नेह ।आनंदित मन हो सदा औश्र स्वस्थ हो देह ।पढ़ाई
करें पढ़ाईचलो हम करें पढ़ाई ।हिन्दू रामचरितमानस पढ़ते हैं मुस्लिम पढं़े कुरान गुरूग्रंथ का पाठ करे सिखबाइबिल पढ़े ईसाई ,करें पढ़ाईचलो हम करें पढ़ाई ।पुस्तक से संपर्क रखेंगे शब्दज्ञान हम पायेंगे ज्ञानकोष पाने पर ही तो हम विद्वान कहायेंगे ।रहें निरक्षर तो फिर जग में होगी सदा हंसाई ,करें पढ़ाई चलो हम करें पढ़ाई।आदत अगर रखें पढ़ने की नित्य नया कुछ पायेंगेअपने जीवन के रस्ते में उसका लाभ उठायेंगेपुस्तक के सत्संग से पायेंगे हम सदा बड़ाई करे पढ़ाई चलो हम करें पढ़ाई।
राजेश कुमार सोनार
कोषाध्यक्ष , अक्षर साहित्य परिषद् ,
वरिष्ठ सहायक, भारतीय स्टेेट बैंक,
चाम्पा, जिला जांजगीर-चाम्पा (छ.ग.) ( 07819) 245759(निवास)
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